Monday, February 11, 2019

ढूँढता है यूँ, कहीं खोया हो जैसे। 

यूँ पुकारता है, कहीं सोया हो जैसे।। 


चढ़ाके फुलोंका हार,

        यूँ करता है मिन्नतें हज़ार। 

भगवान तेरा तुजसे रूठा हो जैसे।। 


No comments:

Post a Comment