Monday, February 11, 2019

ढूँढता है यूँ, कहीं खोया हो जैसे। 

यूँ पुकारता है, कहीं सोया हो जैसे।। 


चढ़ाके फुलोंका हार,

        यूँ करता है मिन्नतें हज़ार। 

भगवान तेरा तुजसे रूठा हो जैसे।। 


Sunday, February 3, 2019

बूंद की आस्था

समंदर की एक लहर से कई बूंदो ने जन्म लिया। 
एक बूंद ने हिम्मत जुटाई और लहर से पूछ लिया।।

"माँ, यह गीला क्या होता है ?

कैसा दीखता है, कहाँ रहता है ?

लहर ने समझाया, बूंद को बहलाय। 

गीला का न रंग है, न कोई आकर है।।
यह तो एक अहसास है, एक भाव है। 
"गीला" तो "पानी" का अहम स्वाभाव है।।

मिलने को "पानी" से अब यह नादान बेचैन सी रहती है। 

समंदर की एक बूंद समंदर मै "पानी" को ढूंढती है।।