Friday, April 26, 2019

कर्मक्षेत्र


कुछ सवालों का अवसर, 
हम को भी दे दे गिरिधर ।
                  हर इंसान यहाँ अर्जुन सा कर्मक्षेत्र में खड़ा हैं  ।।

जंग जीते या जिंदगी  जिये, इसी दुविधा में पड़ा हैं ।।

अहंकार के लाक्षागृह से,
                               किसी तरह बच पाया हैं  ।
ईमान, धरम, लज्जा, शर्म, सब कुछ तो,
                जिंदगी  के जुए में हार कर आया हैं  ।।

किस पर उठाए गांडीव , 
      अब किस पर साधे  निशाना ।
पांडव भी खुद, और कौरव भी खुद ही में पाया हैं  ।।

खुद को हराकर, खुद ही से जीतना हैं  ।
आज की महाभारत में फर्क बस इतना हैं  ।।

कुछ सवालों का अवसर, 
हम को भी दे दे गिरिधर ।
                  हर इंसान यहाँ अर्जुन सा कर्मक्षेत्र में खड़ा हैं  ।।

हर कोई पितामह भीष्म सा,
              अरमानो की शय्या पर तड़प रहा हैं  ।
 हर कोई मजबूर अर्जुन सा,
               अपनो से ही उलझ रहा हैं  ।।

अभिमन्यु सा हर कोई,
              जवाबदारी के चक्रव्यूह ने फंसा हैं  ।
हर किसी के गृहस्थी  का पहिया ,
              कर्ण सा, कीचड़ में धंसा हैं  ।।

महाभारत के हर पात्र का दुःख 
             एक इंसान में सिमट आया हैं  ।
हर इंसान अपने आप में 
             पूरी महाभारत जी रहा हैं  ।। 

कुछ सवालों का अवसर, 
हम को भी दे दे गिरिधर ।
                  हर इंसान यहाँ अर्जुन सा कर्मक्षेत्र में खड़ा हैं  ।।

यूंतो सवाल कुछ भारी हैं, 
             अब के नादान इंसान की बारी हैं 

जवाब देना तुझे भी आसान नहीं होगा ।
             पर यकीन है मुझे, तू परेशान नहीं होगा ।।

पा कर भी अवसर, यह कुछ बोल नहीं पायेगा ।
खुद से ही अनजान है, तुझ से क्या सवाल कर पायेगा ।।

Monday, February 11, 2019

ढूँढता है यूँ, कहीं खोया हो जैसे। 

यूँ पुकारता है, कहीं सोया हो जैसे।। 


चढ़ाके फुलोंका हार,

        यूँ करता है मिन्नतें हज़ार। 

भगवान तेरा तुजसे रूठा हो जैसे।। 


Sunday, February 3, 2019

बूंद की आस्था

समंदर की एक लहर से कई बूंदो ने जन्म लिया। 
एक बूंद ने हिम्मत जुटाई और लहर से पूछ लिया।।

"माँ, यह गीला क्या होता है ?

कैसा दीखता है, कहाँ रहता है ?

लहर ने समझाया, बूंद को बहलाय। 

गीला का न रंग है, न कोई आकर है।।
यह तो एक अहसास है, एक भाव है। 
"गीला" तो "पानी" का अहम स्वाभाव है।।

मिलने को "पानी" से अब यह नादान बेचैन सी रहती है। 

समंदर की एक बूंद समंदर मै "पानी" को ढूंढती है।।