इंसान बने क्रूर तो उसे जानवर कहते है ।
यह बेज़ुबान तो यूँही बदनाम होते है ।।
अब समज आया क्यों साधु जंगल में तपस्या करते थे ।
छोड़ कर मंदिर तीरथ क्यों जंगल को चुनते थे ।।
दया की सिख बस वहीं मिलती है ।
इंसानो की बस्ती मै बस घृणा पलती है ।।
हर देव का एक वाहन होता है ।
गणेश का मूषक, विष्णु का गरुड़ और माता का शेर होता है ।।
इंसान की फ़ितरत बस वही समज पाया ।
शायद, इसीलिए किसिने इंसान को वाहन नहीं बनाया ।।