Sunday, May 20, 2018

कर्मो का हिसाब

कुछ खुशियाँ अभी और आनी है।
कुछ ग़मोका भुगतना अभी बाकि है।।

यूहीं नहीं चलरही है साँसे।
कुछ कर्मो का हिसाब अभी बाकि है।।

Tuesday, May 15, 2018

पत्थर की आह

पत्थर अगर कुछ कहता। 
अपना दुःख बयां करता।।

कई जगह से तोडा मुझको। 
घिस कर कई खरोच है पायी।। 

न जाने क्या क्या गुजरी है मुझपे। 
न जाने कितनी चोट है खायी।।

तब जाके इंसान को मुझमे ,
भगवान की मूरत नझर है आयी।।

मै तो हूँ पत्थर, तू इंसान कहलाता है।।
देता है दर्द जिसको,उसीकी इबादत करता है ! ! !

मेरी आह न सुनी तूने, अब गुहार लगता है।।
दुआएं कुबूल करलु तेरी, मुझसे यह उम्मीद रखता है ? ? ?