🙏 एक फरियाद 🙏
माना तू भगवान है।
पर अपनी ही दुनिया से अनजान है ।।
कुछ असर कलियुग का तुजपार भी हुआ होगा ।
वरना "यदा यदा हि धर्मस्य ...... " कहने वाला,
क्या यूँही अपना वचन भूला होगा ।।
अपने वचनकी गर लाज रखलेता।
तेरे सामने यह अत्याचार न होता ।।
इस पाप को गर चुपचाप न देखता।
अपने होनेका कुछ प्रमाण तो देता ।।
माना अब इंसानियत नहीं रही।
पर तेरी खुदाई कहाँ खोगई ।।
अब भी न आया तू , तो यह जहाँ "अनाथ" कहलायेगा।
अबतक था "रणछोड़" अब तू "जगछोड़" कहलायेगा ।।
माना तू भगवान है।
पर अपनी ही दुनिया से अनजान है ।।
कुछ असर कलियुग का तुजपार भी हुआ होगा ।
वरना "यदा यदा हि धर्मस्य ...... " कहने वाला,
क्या यूँही अपना वचन भूला होगा ।।
अपने वचनकी गर लाज रखलेता।
तेरे सामने यह अत्याचार न होता ।।
इस पाप को गर चुपचाप न देखता।
अपने होनेका कुछ प्रमाण तो देता ।।
माना अब इंसानियत नहीं रही।
पर तेरी खुदाई कहाँ खोगई ।।
अब भी न आया तू , तो यह जहाँ "अनाथ" कहलायेगा।
अबतक था "रणछोड़" अब तू "जगछोड़" कहलायेगा ।।